
केदार घाटी के अधिकांश इलाकों में मई माह के प्रथम सप्ताह में ही भारी जल संकट गहराने लगा है, कई स्थानों पर टैंकरों के माध्यम से ग्रामीणों की प्यास बुझाने के प्रयास किये जा रहे है! तल्ला नागपुर व ऊखीमठ मुख्य बाजार में सबसे अधिक जल संकट बना हुआ है तथा भविष्य के लिए यह शुभ संकेत नही है! मन्दाकिनी सहित सहायक नदियों के साथ ही प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर प्रति वर्ष भारी गिरावट देखने को मिल गयी है! नदियों व प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर गिरावट आने का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन माना जा रहा है! आने वाले समय में यदि जलवायु परिवर्तन की समस्या जारी रहती है तो भविष्य में इसके बुरे परिणाम हो सकते है तथा बूंद - बूंद पानी का संकट खड़ा हो सकता है जिससे मानव , मवेशियों व जंगलों में विचरण कर करने वाले जीव - जन्तुओं का जीवन खासा प्रभावित हो रहा है! जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय भी धीरे - धीरे बर्फ विहीन होता जा रहा है तथा जलवायु परिवर्तन के कारण दिसम्बर, जनवरी व फरवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट देखने को मिल रही है! आगामी 10 मई को तुंगनाथ धाम खुलने के बाद तुंगनाथ धाम में भी विगत वर्षों की भांति जल संकट गहराने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है!